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Sunday, August 31, 2008

भाषा निरपेक्षता


राजनीति का एक मिजाज ये भी है .सिर्फ़ चार ही क्यो भाई ,भारतीय संविधान में तो २२ भाषा का जिक्र है ,तो सभी भाषा की लिपि में लिखा बोर्ड होना चाहिए क्योकी दिल्ली में तो सभी भाषा और प्रांत के लोग रहते है और एक बात तो भूल गए ही गए हमारी दिल्ली में तो ८ फीसदी लोग अनपढ़ भी है तो उनके लिए भी तो कोई इंतजाम होना चाहिए . तभी तो राज्य या सरकार भाषा निरपेक्ष कही जाएगी .

Monday, August 18, 2008

“जिन्दगी क्या है जानने के लिए जिन्दा रहना बहुत जरुरी है”

साँप के मुहँ मे फसा मेडक अपने आस पास उड्ती मख्यियो को निगलना चाहता है,
ऎसा ही हमारा जीवन है जो पत्थर कि मुर्ति कुछ खा नही सकती, उस पर मेवे और फल डाले जाते है, और भुखी आत्मा को “मार – मार” कह भगा दिया जाता है .
पिछली 3 तारीख को मेरे दादाजी(1927-2008) का स्वर्गवास हुआ, शमशान घाट पर जब मुखाग्नि देने का समय हुआ तब अग्नि अर्पित करने वाले महाश्य धन की जिद करने लगे,कहने लगे 5001 रु लुगा तभी अग्नि दुँगा, लोक परम्परा के मुताबिक शमशान घाट का रखवाला ही अग्नि देता है. बहरहाल काफी सौदेबाजी के बाद बात 501 पर तय हुई, बाकी के पैसे तेरहवी के दिन लेने की शर्त पर महाश्य ने अग्नि दी.

Friday, August 8, 2008

मद्धिम होते गांधी

15 अग्स्त नज्दीक आ रहा है, अखबारो मे विभिन्न सन्स्थाओ की उपस्थिति दर्ज होगी साथ मे महात्मा गान्धी (बापु) की चर्खा पर सुत काटते एक तस्वीर भी होगी, Happy Independence Day.. का एक बडा स्लोगन होगा. गान्धी वादी समाजवाद से दुर दुर तक रिशता न रखने वाले गान्धी के आदर्श पर चलने (छ्लने) की बात करते है. शायद यह इसलिए की आज भी लोगो को लगता है कि बापु की तश्वीर लगाने से ही सही होने का सर्टिफिकेट मिल जाता है(मायावतीजी से माफी चाहता हुं).

आज कल टीवी पर एक और बापु(आसारामजी बापु) बहुत ही धुम मचा रहे है, इनके आश्रम के चर्चे टीवी/अखबारो की सुर्खियां बटोर रहे है .मानव बली,सेक्स,रासलीला, गर्भवती लडकिया तमाम बाते निकल कर सामने आ रही है. "बापु "शब्द अपनी निर्मलता ,गरिमा खोता जा रहा है.इन आडम्बरी बाबाओ ने "बापु "शब्द को मलीन कर दिया है.
 

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