करीब सात साल से यमुना के किनारे से होकर रिंग रोड से अपने ऑफिस जाता हूँ . कभी कभी ही ( केवल बरसात के कुछ दिन ) अहसास होता है की एक पुराणिक नदी के किनारे किनारे जा रहा हूँ . इन दिनों भी यही अहसास हो रहा है , यमुना वाकई नदी बन गयी है , उफान लेती हुई नदी , बलखाती हुई नदी , अभिमानी नदी , स्वाभीमानी नदी. आज कल यमुना को देख एक नदी का एहसास होता है.
(सबसे नीचे को छोड़कर सारी तसवीरें बस अड्डा , चंदगी राम अखाड़े से ली हुई है )
8 comments:
अति सुंदर चित्र ओर बहुत सुंदर अहसास जी, धन्यवाद
सच तो ये हैं कि कई जगह नदिया नाले के रूप में हो गयी हैं
सच तो ये हैं कि कई जगह नदिया नाले के रूप में हो गयी हैं
Bahut khoobsurat tasveer
गैर दिल्लीवासी को ऐसी ही यमुना की कल्पना होती है.
Mritunjay ji,
kya yamuna aur kya ganga gomti sabhi nadiyon ka ek hi haal hai.nadiyon ki safai ab nahin hoti,pahle to delhi se kolkata tak jal marg se vyapaar hota tha.
ur blog really nice keep it up. frnd
Hi, their colleagues, nice paragraph and nice arguments commented here, I am really enjoying by these.
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