दिल्ली मेट्रो सेवा दिल्ली की शान मानी जा रही है , पर आज कल इस शान की सवारी को पसीने छुट रहे है . आये हर दिन , कुछ का कुछ गड़बड़ी मेट्रो में देखने को मिल रही है . मेरा खुद का अपना अनुभव भी कुछ ऐसा ही है . जी टी बी नगर से मेट्रो जैसे ही विश्वविद्यालय की तरफ बढ़ती है , गंदा नाले ( नजफगढ़ ड्रेन) के नीचे आते ही रुक जाती है , ये रोज होता है , क्या कारण है पता नहीं चलता ! हाँ एक announcement जरुर होता है कुछ यूँ " इस यात्रा में थोड़ा बिलंब हो सकता है " . किसी भी दिन शाम में आप राजीव चौक जाकर मेट्रो में होने वाली भीड़ का अंदाजा लगा सकते है . मेट्रो प्रशासन एक निश्चित अंतराल के बाद किराया तो बढ़ता है पर सुविधाए पहले से भी खराब हो चुकी है .स्टेसन पर होने वाली धक्का -मुक्की , भीड़- भडाका और अव्यवस्था मेट्रो की कलई खोल रही है . मैंने एक दिन डी टी सी की हरी वाली लो फ्लोर बस पकड़ी और जी टी बी नगर से आई टी ओ नेट आधे घंटे में पहुच गया , मेट्रो इससे ज्यादा समय लेगी . कल मेट्रो की कहानी कुछ ऐसे ही थी , मेट्रो परिसर का नजारा किसी रेलवे स्टेसन के जैसा ही था.
इन तस्वीरों को देखकर क्या हम कहेंगे
Delhi Metro : Global Trendsetters !
(ऊपर का टैग लाइन सरकार मेट्रो के बारे में कहती है )
14 comments:
क्रोध पर नियंत्रण स्वभाविक व्यवहार से ही संभव है जो साधना से कम नहीं है।
आइये क्रोध को शांत करने का उपाय अपनायें !
मेट्रो बनने वाले ने एक कमी रखी... मेट्रो के एक तरफ़ सिर्फ़ उतरने का बनाते, ओर दुसरी ओर सिर्फ़ चढने का, ओर जब तक यात्री उतर ना जाये, तब तक चढने वाली तरफ़ का दरवाजा ना खोला जाये, ओर जिस तरफ़ उतरने का बनाये उस तरफ़ कोई बाहर से अंदर ना आ पाये
MRITUNJAY, KAL TO HOGA HI AUR VAH BHI TUMHARE JAISE NAVJAVANON KA. KAL UGAANE KEE TAKAT HAI TUMMEN, USE PAHCHANNE KI JAROORAT HAI. TABHI APNE SAMAY MEN TUMHARA HASTKSHEP HOGA AUR TABHI SAB KUCHH BADLEGA. ACHCHHA LAGA TUM MERE BLOG PAR AAYE.BAHUT SARI SHUBHKAMNAYEN.
PHIR SE, RAMDEV KE KUTTE PASAND AAYE. BAHUT ACHCHHA, REALLY CREATIVE IT IS.
मेट्रो की पोल खोलती अच्छी पोस्ट..बस नाम ही नाम, काम कुछ नहीं.
very nice blog.thanks for comment
MERE BHAI,SIMPLE MATHS.....
KOI BHI SUVIDHA NUMERATOR HAI!
TATHA JANSANKHYA DENOMINATOR.....
INDIA MEIN DENOMINATOR HAMESHA BADA HI RAHA HAI.....
KAM SE KAM ISME TO RAHE NA HUM TRENDSETTER!!!!
:)
चित्र तो मेट्रो सेवा की दुर्दशा ही बयान कर रहा है.
मृत्युंजय जी
किसी चीज में कुछ अच्छा होता है तो उसकी कुछ चीजें बुरी भी हो सकती है...मेट्रों में कुछ बुराईयां है तो कुछ अच्छाईयां भी हैं....हमें उसके दोनों पक्षों को देखना चाहिए...
है ना...
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