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Wednesday, September 23, 2009

क्रिकेटरों का दुख


"साईं इतना दीजिए जाने कुटम्ब समाए , मै भी भूखा ना रहू साधू भी भूखा ना जाए. "
कभी स्कुल के क्लास में मैंने ये लाइन पढी थी , कबीर ने भारतीय दर्शन में अपने रहस्यवाद और एकात्मवाद का जो Fusion दिया उसे हमारे मास्टर जी पढाते थे और साथ ही साथ कबीर के रास्ते पर चलने की प्रेणना भी देते थे.
पर आज कल टी वी पर बिरला सन लाइफ इंश्योरेंस के विज्ञापन को देखकर कुछ असहज महसूस करता हु . आईसीसी के टॉप टेन क्रिक्केटर में से दो क्रिकेटर युवराज सिंह ( current ICC ranking no-2) और वीरेंदर ( current ICC ranking no-9) बहुत ही मार्मिक अंदाज में अपने भविष्य के बारे में सशंकित, चिंतित, बेचारा और मायूस अंदाज में नज़र आते है . युवराज सिंह तो लगभग रो दिए है या यु लगा की अगले पल ही रो दिए होंगे . युवराज बोलते है "जब तक बल्ला चलता है तब तक ठाट चलते है उसके बाद ..................."'Jab Tak Balla Chalta Hain, Thaat Chalte Hai Warna' (You rule till your bat rules). . कमोवेश यही अंदाज या यु कहे याचना अगले दो क्रिक्केटर ( रोहित शर्मा ओर सुरेश रैना ) के विज्ञापन में भी नज़र आयेगी .
अपना दुख-दर्द बांटते हुये ये क्रिक्केटर बिलकुल नहीं सुहा रहे है. १०० करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले इस मुल्क के किसी भी वाशिंदे को ये विज्ञापन कतई अच्छा नहीं लगा होगा . क्रिकेट इस मुल्क का धर्म है और क्रिक्केटर इसके भगवान् , और भारत की जनता भक्त है. भगवान् को इस तरह रोते हुए देखना उसके भक्तो को बिलकुल अच्छा नहीं लगेगा . और जहाँ तक भूखे रहने की बात है इस धर्म का कोई भी भगवान कभी भी भूखा नहीं रह सकता है , भक्त भोग लगाने के लिए तैयार बैठे है . युवराज सिंह , वीरेंदर सहवाग ,रोहित शर्मा ओर सुरेश रैना तो सुपर भगवान् है .
हम सबके बीच क्रिकेट एक अनिवार्य तत्व के रूप मे मौजूद रहता है। क्रिकेट और क्रिकेटर ने हमें कितनी खुशियां दी हैं। अपनी तरीकों से खुश रहने के तरीके दिये हैं। ये क्रिकेट ही कर सकता है। जितने राज्य ,जिलों, भाषा , बोलियों, धर्म, सम्प्रदाय और तमाम बंटवारों के बीच इन सबसे अगर कोई दरियादिली के साथ हिन्दुस्तान को एक कर निकालता है तो वो क्रिकेट ही है। बस एक चौका और अपने मुल्क से सात समुन्दर पार का भी स्टेडियम कर्णनाद से गुंजायमान हो उठाता है . अपने देश में होने वाले मैच के दिन लोग सुबह तीन बजे ही स्टेडियम के गेट के लाइन में खड़े दिखाई देते है. खिलाड़ियों को एक इंजरी होने पर सरकार (BCCI) खिलाड़ियों को अपने खर्चे पर इलाज के लिए ऑस्ट्रेलिया/ साउथ अफ्रीका/ कनाडा भेजती है
हिन्दुस्तानी क्रिकेटरों के विज्ञापन करने से ना कभी परेशान हुए है ओर ना ही कभी होंगे. इसके उलट टी वी विज्ञापनों में क्रिकेटरों को देखना अच्छा लगता है . पर क्रिकेटरों के मान - सम्मान और मर्यादा का ध्यान विज्ञापन करता को जरुर करनी चाहिए. डेनमार्क के एक पत्रकार ने मोहम्मद साहब की एक कार्टून बनाया तो धर्म के लोगो के पुरे विश्व में कोहराम मचा दिया. हुसैन साहब ने सरस्वती की कुछ आपतिजनक तस्वीरे बनाई तो हिन्दुओ ने जमकर बवाल काटा . लगभग कुछ इसी ही प्रतिक्रया हरेक बार हर धरम के लोगो ने दिखाई जब उनके अराध्य देवो का अपमान हुआ. बिरला सन लाइफ इंश्योरेंस का यह विज्ञापन भी हमारे भगवानों का अपमान है, और हम इसे कतई बर्दास्त नहीं कर सकते है . विज्ञापन का फॉर्मेट / स्टायल कुछ और भी हो सकता था तब कोई परेशानी नहीं होगी ,पर क्रिकेटरों को इस प्रकार निरीह प्राणी / शशंकित दिखाने की कोशिश कतई बर्दास्त नहीं है. मुझे तो उस ऐड मेनेजर पर तरस आ रहा , क्या हमारे क्रिकेटरों के भविष्य के दिन इतने ख़राब होंगे की वो अभी से ही रोयेंगे ?
अंत में मै अपने क्रिकेटरों से कहना चाहता हु आपके एक छक्के से पूरा हिन्दुस्तान (१०० करोड़ ) खुशी से झूम उठता है , आप हमारे हीरो है और हम आपको हीरो की तरह ही देखना पसंद करेंगे , अपने भविष्य के लिए चिंतित , शशंकित ,उदास और डरे हुए इंसान के रूप में नहीं .

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