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Wednesday, August 26, 2009

नमन करो पशु को

ओ मनुष्य / नमन करो पशु को
विशेषकर / वन्दना करो बंदर की
अपने पूर्वजों को / कर पहला नमस्कार .
हर पशु / तेरा गुरु
कुछ सीखा / सीखकर
आचरण कर तदनुसार

पशु हमसे है
कहीं अधिक स्वाभिमानी .

हाथी के पाँव पड़ा हो
कोई हाथी
सूनी नहीं ऐसी खबर

चूहों ने
ढोई नहीं पालकी
बिल्ली की

हिरणों ने
दबाये नहीं पैर / भालू के
या तो / मुक्त गगन में
या / मृत्यु की खाई
बीच का जीवन / जीतें नहीं पशु

जंगल में
नहीं होता
अन्धविश्वाश
वहां
शुतुरमुर्ग भी करते नहीं कौतुक
आग पर दौड़ने का
मदोन्मत मनुष्य / बोल
हाथी
को छोड़कर
किसी जानवर का
फूटता है मद ?

दिखा सकते हो
वन के अंदर
कोई
ईसाई तोता, हिन्दू बाघ
जैन बगुला , बौद्ध बैल
सिख शेर, या इस्लामी हिरन ?

ओ मनुष्य
भले ही / जितना
बन ठन लो ,
दसों अँगुलियों में
पहन लो अंगूठियाँ
परख चुनकर / पहन लो
जरीदार रेशमी अँगरखा
फिर भी
रहेगी सुन्दर नारी ही
मनुष्य जात में , / नर नहीं
हाँ , यदि / पाना चाहते हो
नर में सौदर्य ?
पशु को छोड़कर
कोए गति नहीं
हिरनों में सींग हो
तो बाराह्सींगे का
हाथियों मे
दाँत होते है
गजराज के
मयूरों में पंख हो
तो कलाभ का

कुक्कुट - जाति में
कलगी रखता है मुर्गा
यह जात का मानू ?
नहीं होता नगर में
होता बस वन में

ओ मनुष्य !
गरूर मत कर/ यह सोचकर
कला पर अधिकार
बस तुम्हारा है

इस धरती का
पहला गीत/ पवन का गीत
दुसरा गान / तरंगों का तराना
तीसरा तराना / कोकिल काकली
तेरा गान / चौथा ही है
कोयल की तर्ज पर
गाने लगा / तू ?
गुरु की वन्दना करने से पूर्व
वत्स !
कोयल की वन्दना कर

ओ मनुष्य / मान ले
मर , मिट गया तू
क्या बनेगा तेरे शरीर से ?
तेरी चर्बी से / बन सकते है
बस सात साबुन
तेरे कार्बन से / बनेंगी / नौ हजार पेंसिलें
शरीर के लोहे से / बनेंगी
केवल एक कील
जानता है / पशु का
मोल क्या है ?
मृत बाघ का
नख भी बनता
आभूषण
बनता लेखनी
कपोत पंख भी
बनेगा बटुआ
चमड़ा साँप का
जूता बनेगी
पशु की खाल
आयी समझ में तेरी

मर कर भी रहता है
मूल्य पशु वर्ग का ?
ओ मनुष्य !
गौर किया है
देवताओं के वाहन पर ?
एक देव ने अपनाया वृषभ को
एक आरूढ़ हुआ मयूर पर
एक बैठ गए शान से चूहे पर
एक विराजे खगराज गरुड़ पर
अभी तक / सारे देवता
पशुओ से ढोये गए / मानव से नहीं
क्या / देवता नहीं जानते
मानव से / ढोने को कहा जाए / तो
वह तस्करी कर देगा ?

विशवास करता है
मनुष्य / ईश्वर पर
किन्तु इश्वर / नहीं करता विश्वाश मनुष्य पर
जीने के लिए ही जन्मा है
तनिक बदल ले
अपनी जीवन शैली
रीत बदल कर देखो तो
खुद बाँग देकर
जगाओ मुर्गे को / बड़े तडके
कंधे पर / लिए तोता
चलो न दफ्तर !
मनभावन बिल्ली के संग
करो मध्याहन का भोजन

कितने दिन / देते रहोगे
अपनी पत्नी को
स्नेहविहीन चुम्बन ?
कल से / चुम्बन दो
खरगोश के बच्चो को भी
तुन्हारे बिस्तर पर
सजे / एक तीसरा तकिया ,
उस / छोटे से तकिये पर
सो जाए / तुम्हारा प्यारा पिल्ला

विधान सभा में / पशु समस्या पर
उठाओ / नियमापति का प्रश्न
गाय के थन के नाम
घोषित करो / राजपत्रित अवकाश
सप्ताह में एक दिन

बंद कर दो / हाथी की
सर्कशी कंदुक- क्रीना
यह
हाथी जाति के लिए
अन्तराष्ट्रीय अपमान है
सम्मान करो / पशुओ का
वे सभी / वेश बदले
मानव है / परिणाम विकाश की
कड़ियाँ है
प्यार करो / पशुओ से

वे
तुम्हारे प्यार के लिए तरसते
शिशु है


अंत में -
केवल एक प्रश्न / जबाब दो
दिल पर हाथ रखकर
कुछ पशु ऐसे है / जो
मनुष्यों द्वारा वन्दनीय है
क्या यहाँ पर / ऐसे मानव भी है
जो / पशुओ द्वारा वन्दनीय हो
 

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