मैंने अपने ब्लॉग पर २ जून , २०१० को दिल्ली मेट्रो के बारे में लिखा था , कैसे दिल्ली मेट्रो का हाल दिन पर दिन बुरा होता जा रहा है और मेट्रो प्रशासन नींद में सोया हुआ है . कल भी इस ग्लोबल ट्रेंड सेटर ने दिल्ली वालों को धोखा दिया . शादीपुर में मेट्रो सेवा लगभग दो घंटो से ज्यादा वाधित रही . ऐसी घटनाएं अब मेट्रो के लिए आम बात हो चुकी है , आश्चर्य इस बात पर होता है की विश्वा स्तरीय होने का दावा भरने वाली , डी एम् आर सी इन गलतियों से कुछ सीख नहीं रही है .
बचपन में पुस्तकों में पढ़ते थे की मरुस्थल में बारिस बहुत ही कम या नाम मात्र होती है . पर अब हर साल मरुस्थल में बाढ़ आ रही है , बचपन में पढी गयी बातें अब फेल हो रही है . प्रकृती की लीला अपरंपार है.
दिल्ली मेट्रो सेवा दिल्ली की शान मानी जा रही है , पर आज कल इस शान की सवारी को पसीने छुट रहे है . आये हर दिन , कुछ का कुछ गड़बड़ी मेट्रो में देखने को मिल रही है . मेरा खुद का अपना अनुभव भी कुछ ऐसा ही है . जी टी बी नगर से मेट्रो जैसे ही विश्वविद्यालय की तरफ बढ़ती है , गंदा नाले ( नजफगढ़ ड्रेन) के नीचे आते ही रुक जाती है , ये रोज होता है , क्या कारण है पता नहीं चलता ! हाँ एक announcement जरुर होता है कुछ यूँ " इस यात्रा में थोड़ा बिलंब हो सकता है " . किसी भी दिन शाम में आप राजीव चौक जाकर मेट्रो में होने वाली भीड़ का अंदाजा लगा सकते है . मेट्रो प्रशासन एक निश्चित अंतराल के बाद किराया तो बढ़ता है पर सुविधाए पहले से भी खराब हो चुकी है .स्टेसन पर होने वाली धक्का -मुक्की , भीड़- भडाका और अव्यवस्था मेट्रो की कलई खोल रही है . मैंने एक दिन डी टी सी की हरी वाली लो फ्लोर बस पकड़ी और जी टी बी नगर से आई टी ओ नेट आधे घंटे में पहुच गया , मेट्रो इससे ज्यादा समय लेगी . कल मेट्रो की कहानी कुछ ऐसे ही थी , मेट्रो परिसर का नजारा किसी रेलवे स्टेसन के जैसा ही था.
इन तस्वीरों को देखकर क्या हम कहेंगे
Delhi Metro : Global Trendsetters !
(ऊपर का टैग लाइन सरकार मेट्रो के बारे में कहती है )