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Monday, June 29, 2009

यादों में कहीं न कहीं फिर बसता
इतना दूर होकर भी पास है गाँव
भूल के भी रह-रह कर याद आता है गाँव
खेत पोखर ,नाहर भाखर नदी के किनारे गाँव
चारो ओर सन्नाटा , शांति चाँद की शीतलता
झींगुर के झर झर मेढक के टर्र टर्र के शोर में डूबा गाँव
जिला-जवार, हुक्का-पानी, सानी-पानी गाय गरु में डूबा गाँव
गोबर-गाठी,नून-तेल ढेंकी-जाता पानी परुआ वाला गाँव
दूर होकर भी दिल के एक कोने में बसा है गाँव


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