ये तस्वीर हरिद्वार के शांति कुञ्ज की है . माधव का मुंडन कराने जब मै हरिद्वार गया था , ये तब की तस्वीर है ."भटका हुआ देवता"के नीचे कई आईने रखे हुवे है . इस आईने में खुद को देखना है और अपने अंदर के देवता को ढूढना है और भटकाव को महसूस करना है . मनुष्य देवत्व के बहुत करीब हो़ता है, हमें शायद अपने अंदर झांकने की जरुरत है .
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